बैल और उसकी पूंछ

गहरा अफ़सोस........?


एक बार का वाकया है, एक किसान था। जिसकी एक बहुत ही रूपवती कन्या थी। एक दिन एक नौजवान लड़का उस लड़की से विवाह का प्रस्ताव लेकर किसान के पास पहुंचा। उस समय किसान खेत में ही था।


किसान ने लड़के को देखा और बोला: बेटा तुम खेत में वहां खड़े हो जाओ। मैं एक-एक करके, तीन बैल छोडूंगा। यदि तुम इन तीनों बैलों में से; किसी एक की भी पूंछ पकड़ने में कामयाब हो जाओगे; तो मैं तुम्हारा विवाह, अपनी पुत्री से कर दूंगा।


लड़के को शर्त बहुत आसान लगी। सो नौजवान लड़के ने, हल्के से मुस्करा कर; किसान की शर्त मंजूर कर ली।

लड़का पूंछ पकड़ने को तैयार होकर; खेत में जाकर खड़ा हो गया।


किसान ने दरवाजा खोला; जिसमें से एक बड़ा भीमकाय बैल बाहर निकला। बैल को देखकर लड़का डर गया। उसने इतना बड़ा बैल आज तक नहीं देखा था।

उसने फैसला किया कि; वह इस बैल की पूंछ नहीं पकड़ेगा। बल्कि दूसरे बैल का इंतजार करेगा।

यह सोचकर लड़का एक तरफ हो गया; और बैल उसके पास से आराम से टहलते हुए गुजर गया।


किसान ने दूसरा दरवाजा खोला। इस बार पहले से भी ज़बरदस्त बैल था। डर के मारे लड़का सोचने लगा, कि इससे तो पहले वाला ही ठीक था। लड़के ने इसे भी छोड़ देने का मन बना लिया। यह दूसरा बैल लड़के के पास से आकर; टहलता हुआ गुजर गया।


अंत में किसान ने तीसरा दरवाजा खोला। इस बार लड़के के चेहरे पर मुस्कान दौड़ पड़ी। क्योंकि अबकी बार उसके सामने, एक पतला-दुबला और मरियल बैल था।

लड़के ने उसकी पूंछ सही से पकड़ने के लिए; मुद्रा बनाई। जैसे ही बैल उसके पास पहुंचा; लड़के ने देखा कि, उस बैल की तो; पूंछ ही नहीं है।


कुछ इसी प्रकार की हमारी जिंदगी है, जिसमें अवसर आते हैं। और हमारी आंखों के आगे से चले जाते हैं।


हमारी जिंदगी अवसरों से भरी; नहीं पड़ी है। जिन्दगी बदलने वाला अच्छा मौका; शायद ही दुबारा आये।

या हमारी परिस्थिति ऐसी हो जाये; जैसे जब दांत थे तो चने नंहीं।


यह हमारा डर ही है; कि हम उन्हें पहचान नहीं पाते। और डर कर बैठ जाते हैं।

हमेशा प्रथम अवसर को हासिल करने का प्रयास करना चाहिए।

क्या पता दुबारा वह अवसर मिले भी या नहीं।